Open Sex Series – Part 15




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Open Sex Series – Part 15

"Group Sex – मनोविज्ञान, अनुभव और भारतीय समाज में इसका वजूद"

> “जब देह एक से अधिक देहों में घुलती है,
तब मन में कई परतें खुलती हैं –
कुछ मोहक, कुछ डरावनी।”




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Group Sex – ये शब्द सुनते ही कई लोगों के भीतर एक रोमांच उठता है, और साथ ही एक झिझक भी।

क्यों?

क्योंकि ये समाज के बनाए संकीर्ण ढांचों से बाहर है।
हमने सेक्स को हमेशा दो लोगों के बीच की चीज़ माना है –
पति-पत्नी, प्रेमी-प्रेमिका, या बस दो शरीर।

लेकिन क्या होता है जब तीसरा, चौथा या पाँचवाँ शरीर इस खेल में जुड़ता है?


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Group Sex का इतिहास – ये नया नहीं है

प्राचीन रोम और यूनान की सभ्यताओं में ये एक सामान्य अभ्यास था।

तांत्रिक परंपराओं में भी ऐसे यज्ञ होते थे जहाँ कई साधक-साधिकाएं मिलकर एक ऊर्जा क्षेत्र का निर्माण करते थे।

ओशो की कम्यून में, विशेष ध्यान और सहमति के साथ कभी-कभी ऐसे प्रयोगों की अनुमति दी जाती थी –
जहाँ देह सिर्फ देह नहीं थी,
वह एक माध्यम था चेतना को स्पर्श करने का।



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मनोविज्ञान क्या कहता है?

Group Sex के पीछे कुछ गहरे मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं:

1. नवीनता की भूख (Novelty Seeking):
मस्तिष्क का डोपामिन सिस्टम नए अनुभवों से उत्तेजित होता है।
Multiple partners dopamine surge बढ़ाते हैं।


2. फैंटेसी फुलफिलमेंट:
कई लोगों की छुपी इच्छाएं — जैसे 'being watched', 'sharing partner', 'threesome' — इस माध्यम से पूरी होती हैं।


3. Power Dynamics और Submission:
कोई खुद को पूरी तरह सौंप देना चाहता है, कोई सब पर नियंत्रण चाहता है —
Group sex इन इच्छाओं को मंच देता है।




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मैंने खुद एक बार इसे एक साधना के रूप में देखा – पुणे के ओशो कम्यून में।

वहाँ एक ध्यान शिविर था –
"Deconditioning the Sexual Mind"
जिसमें कुछ सेशंस में शरीर को ‘collective energy field’ का हिस्सा माना गया।

शुरू में अजीब था –
तीन लोग एक-दूसरे के बेहद पास, नंगे,
लेकिन कोई हवस नहीं,
कोई जबरदस्ती नहीं —
सिर्फ मौन, सिर्फ कंपन, सिर्फ स्पर्श की ऊर्जा।

मैंने पहली बार समझा —
सेक्स सिर्फ देह की बात नहीं है,
बल्कि ऊर्जा के प्रवाह का एक प्रयोग भी हो सकता है।


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Group Sex के फायदे (अगर सहमति और समझदारी हो):

Emotional Liberation (especially from jealousy)

Deep understanding of your own boundaries

Non-monogamous love का अनुभव

शरीर और आत्मा की खुली अभिव्यक्ति



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नुकसान और खतरे (अगर सिर्फ उत्तेजना के लिए किया जाए):

मन में अपराधबोध, guilt

STD’s और शारीरिक जोखिम

Emotional trauma या Attachment confusion

संबंधों में असुरक्षा



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भारत में Group Sex – वर्जना या सच्चाई?

बात करें आधुनिक भारत की, तो:

Metros जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु में swingers communities बढ़ रही हैं।

कई कपल्स इसे explore कर रहे हैं — secrecy और anonymity के साथ।

लेकिन समाज इसे अब भी अश्लीलता और नैतिक पतन की दृष्टि से देखता है।


हालांकि, मेरा अनुभव कहता है —
अगर हर भागीदार की स्पष्ट सहमति और मानसिक तैयारी हो,
तो यह एक प्रयोग हो सकता है – आत्मा और देह दोनों को जानने का।


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ओशो क्या कहते हैं?

> "तुम जितना अपनी देह के साथ ईमानदार हो,
उतना ही परमात्मा के करीब हो।
भय और वर्जनाएं ही तुम्हें बाँधती हैं।
प्रेम और समझ तुम्हें मुक्त करते हैं।"




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अंत में...

Group Sex कोई ‘जरूरत’ नहीं है,
यह एक चुनाव है।
वह चुनाव जो तुम्हें या तो गहराई देगा, या और उलझा देगा।

मैंने जब इसे एक साधना के रूप में देखा –
तो पाया कि ये भी एक दर्पण है
जहाँ न तुम किसी और को देखते हो –
बल्कि खुद को नया रूप देते हो।


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