जीवन बुला रहा है

जीवन बुला रहा है, चलो उसे खुलकर जी लें,
हर पल में बसी है ख़ुशियों की कोई प्याली – पी लें।
क्यों रुकें, क्यों थमें, क्यों किसी क्षण को जाने दें,
हर साँस का मोल समझें, उसे अपने सीने में बसा लें।

ज़िन्दगी कह रही है – हँसी को ना बिछड़ने दें,
दिल की आवाज़ को यूँ ही चुप ना रहने दें।
कभी हँस लें खुलकर, कभी रो लें दिल खोल,
खुशियों को बाँटें, ग़मों को भी संजो लें।

ये क्षण जो बेमोल है, इनको यूँ न जाने दें,
जीवन का हर क़दम, किसी संगीत सा बहने दें।
आज में जी लें, कल के ख्वाबों को छोड़ दें,
खुशियों की राह पर अपने पाँव फिर जोड़ दें।

ना जाने कब थम जाए ये सफर,
हर साँस में बसी है कोई अमूल्य नज़र।
तो क्यों किसी क्षण का इंतजार करें,
आओ, जीवन को बाहों में भरकर, हर पल प्यार करें।


अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...