खुद से दोस्ती



सुबह-सुबह आई दिलचस्प बात,
खुद से दोस्ती की है शुरुआत।
आईने में देखा, मुस्कुराए,
"क्या बात है, आज तो कमाल लग रहे हो भाई!"

खुद से कहा, "चाय बनाएंगे?"
दिल बोला, "बिल्कुल, बिस्किट भी लाएंगे!"
फिर सोचा, "चलो आज कुछ खास करें,
खुद से गपशप का समय पास करें।"

"क्या बात है? क्यों उदास दिख रहे हो?"
"अरे यार, बस थोड़ा सा सोच रहे हो!"
"अरे छोड़ो, चिंता को दूर भगाओ,
खुद से प्यार करो, और चटकारे लगाओ।"

दिनभर खुद से बातें होती रहीं,
जैसे दो दोस्तों की गहरी यारी रही।
"तुम हो बेस्ट," दिल ने कहा,
"और तुम भी!" जवाब में खुद ने हंसी दी वहाँ।

तो खुद से दोस्ती मजेदार होती है,
हर दिन नयापन और हंसी लाती है।
खुद से बातें, खुद को समझना,
यही तो असली दोस्ती का मतलब होता है।


"प्रेम का दिव्यता रूप"

प्रेम ही असली चीज़ है, जहाँ मन का हर बीज है। कामनाओं से परे की धारा, जहाँ आत्मा ने खुद को पुकारा। जब स्पर्श हो बिना वासना की छाया, तो प्रेम ...