उद्धार: एक अनकही यात्रा



उद्धार कोई आसान रास्ता नहीं है,
यह एक स्विच पलटने जैसा नहीं है।
आघात ने मेरे मन को बदल दिया है,
मेरी सोच, मेरी प्रतिक्रियाएँ, मेरी सुरक्षा की भावना—
यह सब कुछ नई तरह से आकार लेता है।

मैं बस आगे नहीं बढ़ सकता,
मैंने अपनी पुरानी धारा को खोला है,
फिर से सीखना, फिर से समझना,
सिर्फ़ चलने की बजाय, यह यात्रा होती है।

हर दिन एक नया संघर्ष होता है,
अपने आप से और अपनी परिभाषाओं से लड़ना,
जिन्हें आघात ने विकृत कर दिया है।
समय चाहिए, और बहुत धैर्य,
वो जो दुनिया कभी नहीं समझ सकती।

मैंने जाना है, उद्धार का मतलब सिर्फ़ गुजरना नहीं,
यह एक गहरे बदलाव की प्रक्रिया है,
जो मुझे मेरे अंदर से मिलती है,
मेरे पुराने दर्द को समझते हुए।

तो मैं कहता हूँ,
इस उद्धार के रास्ते को मत आंकना,
यह हर किसी के लिए अलग है,
और मुझे खुद को इस रास्ते पर चलने का समय चाहिए,
तभी मैं अपने अंदर की शांति पा सकता हूँ।


आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...