विचार बीज

मैंने सोचा है, एक छोटा सा बीज,
कैसी क्षमता छुपाए हुए है उसकी भीतर की नींव।
अगर वह जिंदा हो, उसमें प्राणों की धड़कन हो,
वह पूरी पृथ्वी को फूलों से भर सकता है, यही सत्य है, जिसे मैंने जाना।

विचार भी वही बीज है, जो मेरे भीतर बसा है,
अगर वह जीवित हो, उसमें मेरी सांसें, मेरा रक्त बहता है,
तो वह विचार मेरे जीवन को रूप दे सकता है,
और वह रूप इतना सुंदर होगा कि मैं उसे शब्दों में नहीं कह सकता।

जब तक विचार मेरे हृदय से नहीं निकला,
वह सिर्फ एक विचार नहीं, एक भ्रम था,
लेकिन जैसे ही वह मेरे प्राणों से जुड़ा,
वह सच्चाई बन गया, वह मेरा हो गया।

मेरे जीवन का यही उद्देश्य रहा,
तुम्हें हिलाना, झकझोरना, तुम्हें बताना,
कि तुम कब तक दूसरों के विचारों में खोए रहोगे,
कब तक उधार की सोच से अपनी राह तय करोगे।

शर्म आनी चाहिए, जब तक तुम दूसरों के विचारों में जीते हो,
क्या तुमने कभी अपने विचारों की स्वतंत्रता का एहसास किया है?
क्या तुमने कभी सोचा है,
कि तुम कब तक दूसरों के बनाए हुए रास्तों पर चलोगे?

विचार की स्वतंत्रता किसी अधिकार का नाम नहीं है,
यह एक अनुभव है, जिसे तुम्हें खुद खोजना होगा,
यह भ्रांति छोड़ दो कि किसी और से मिले अधिकार से,
तुम अपना सत्य जान सकोगे।

स्वयं से जुड़ो, अपने भीतर की आवाज़ सुनो,
तभी तुम अपने विचारों में स्वतंत्र हो सकोगे,
न लोकतंत्र, न समाज, न किसी व्यवस्था से,
तुम्हें खुद ही अपने विचारों को मुक्त करना होगा।

यह वह संपत्ति है, जो केवल तुम्हारी है,
कोई तुम्हारे लिए इसे नहीं ला सकता,
तुम्हें इसे महसूस करना होगा,
तभी तुम्हारा जीवन सच्ची स्वतंत्रता से भर जाएगा।


अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...