शादी का बंधन पवित्र, गहरा और अनमोल,
जहाँ दिल जुड़े, और सपने हों गोल।
पर अगर यह बंधन केवल भावनाओं पर टिके,
तो हर बदलती लहर से रिश्ता डगमगाए, बिखरे।
भावनाएँ होती हैं सागर की तरह,
कभी शांत, कभी उफान पर बेअसर।
अगर रिश्ते को केवल इन्हीं पर बसाओ,
तो हर तूफान में अपने को अकेला पाओ।
जुनून का जादू, रोमांस की कहानी,
शुरुआत में लगती है जन्नत सी निशानी।
पर वक्त के साथ जब भावनाएँ बदल जाएं,
तो क्या रिश्ते की जड़ें गहरी रह पाएं?
शादी है सिर्फ महसूस करने का नाम नहीं,
यह है भरोसे और वचन की सच्ची जमीन।
यह समर्पण है, यह विश्वास का सूत्र,
जहाँ हर परिस्थिति में साथी बने संरक्षक।
जब भावनाएँ कमजोर हो, ठंडी पड़े,
तो रिश्ते में नयी ऊर्जा भरें, ना इसे छोड़ें।
यह कहानी है सहने की, सुलझाने की,
प्यार को फिर से जगाने की।
भावनाओं से परे है इस रिश्ते की परिभाषा,
यह है जिम्मेदारी, यह है जीवन की अभिलाषा।
हर चुनौती को साथ में पार करना,
यही है शादी को सच्चा और अडिग बनाना।
तो जब भी मन भटके, और अकेलापन सताए,
याद रखना यह बंधन, जो दिलों को जोड़े और राह दिखाए।
शादी है सदा के लिए, एक वादा, एक अटल विश्वास,
भावनाओं से परे, यह रिश्ता है हर दिन का उजास।