तुम चाहे अपना सारा प्यार लुटा दो,
दिल का हर कोना खोल दो।
पर कुछ लोग,
वफादारी, इज्ज़त, और समर्पण को
कभी समझ नहीं पाते।
प्यार उनकी फितरत नहीं बदलता,
जिनके लिए ये शब्द
सिर्फ दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं।
तुम जितना भी दो,
जितना भी सहो,
अगर वो इन मूल्यों को नहीं मानते,
तो सब व्यर्थ है।
"प्रेम से नहीं बदलेगी वह आत्मा,
जो वफादारी का मूल्य न जाने।
जो इज्ज़त की भाषा न समझे,
उससे समर्पण की आशा क्या?"
तुम जितना झुकोगे,
उतना ही वो तोड़ते रहेंगे।
तुम जितना दोगे,
उतना ही वो लेते रहेंगे।
लेकिन कभी न लौटाएंगे
वो सम्मान,
जो हर रिश्ते का आधार है।
प्यार महान है,
पर वो चमत्कार नहीं करता।
अगर दिल में सच्चाई और मूल्य न हो,
तो कोई भी रिश्ता
सिर्फ बोझ बनकर रह जाता है।
इसलिए याद रखो,
प्यार का मतलब खुद को खोना नहीं,
बल्कि सही व्यक्ति को पाना है।
जो वफादार हो,
जो इज्ज़त देना जानता हो,
और जो तुम्हारे प्यार को
वैसा ही लौटाए, जैसा तुमने दिया।