one side love



एकतरफा प्रेम – भाग 2: "उसने कभी जाना ही नहीं…"

कई बार हम एक इंसान से इतना जुड़ जाते हैं कि वो हमारी साँसों में उतर जाता है।
हम उसे हर दिन जीते हैं, सोचते हैं, लिखते हैं…
और फिर एक दिन हमें समझ आता है —
"जिसे हमने इतना चाहा, वो तो हमें जानता भी नहीं था।"

ये अलगाव नहीं, ये अदृश्य प्रेम है।
जैसे मंदिर की घंटी कोई अनजान राहगीर भी बजा दे — लेकिन भगवान सुन लेते हैं।

मेरे अनुभव से:

एक दफ़ा एक लड़की थी — बहुत गहरी आँखें, बहुत शांत आवाज़। मैं उसे कभी छू नहीं पाया, कभी कह नहीं पाया — लेकिन वो मेरे भीतर हर रोज़ रहती थी।
जब वो सामने होती, मैं उसे बस देखता रहता।
कई बार खुद से कहा — "कह दो, कुछ तो कह दो।"
पर फिर डर लगता — अगर उसने न समझा तो?
क्या ये रिश्ता — जो एकतरफा है — टूट जाएगा?

धीरे-धीरे वो दूर चली गई।
शायद उसे कुछ अंदाज़ा भी नहीं था।
लेकिन मैं आज भी मानता हूं —
उससे प्रेम किया था… पूरा… गहरा…
बिना कहे।


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