तपस्या

बड़ी तपस्या के बाद भी राह खोजता रहा,
उस तप का फल न था जो मेरा हक़ था।

जीवन की तपस्या से अब तक ना मिला वो सफलता,
जो मेरे सपनों का था वह अभी तक अधूरा रहा।

बहुत तप की रौशनी ने दिखलाया सफर,
पर वो मन्जिल थी दूर, जो कभी न मिली यार।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...