सकारात्मकता की ओर कदम



एक खराब नौकरी, नहीं है जीवन का अंत,
काम का बोझ, नहीं मेरी पहचान।
एक जहरीला माहौल, न कर पाए जख्म,
मेरी आत्मा से यही कहना है, रुको नहीं, थम।

आत्मविश्वास की छांव में छिपकर,
शंका ने घेरा, खुद को संदेह कर।
कहीं, खो गया था वह विश्वास,
मुझे फिर से चाहिए एक सच्चा साथ।

लेकिन मैंने सीखा, कुछ नया सबक,
अगली बार, खुद को संभालना है बेमुक।
हिम्मत और धैर्य से एक नई राह,
कभी न रुकने का, यही है मेरा आह्वान।

भूतकाल का दर्द, अब छोड़ दिया है,
मेरे सामने अनगिनत द्वार खुले हैं।
हां, मैंने गिर कर सीखा है चलना,
और इस नई राह पर चल पड़ा हूँ बिना डर के।

हर अनुभव, कुछ न कुछ सिखाता है,
जीवन में हर पल कुछ नया बनाता है।
खुद को फिर से महसूस करूँ,
नया अवसर मेरे लिए नयी शक्ति है।

तुम भी तो जानते हो, हर राह पे कांटे हैं,
कभी तो तुम भी, ऐसे ही लहरों में बहते हो।
लेकिन फिर, उठो और चमको,
तुम्हारी शक्ति अब वो है, जो कभी नहीं थमा।


छाँव की तरह कोई था

कुछ लोग यूँ ही चले जाते हैं, जैसे धूप में कोई पेड़ कट जाए। मैं वहीं खड़ा रह जाता हूँ, जहाँ कभी उसकी छाँव थी। वो बोलता नहीं अब, पर उसकी चुप्प...