अलगाव का अर्थ



मैंने उनसे अलग होने का नहीं सोचा,
बल्कि अपनी उम्मीदों को छोड़ दिया।
उनकी मौजूदगी को बिना शर्त अपनाया,
बिना किसी धागे के, बिना किसी बंधन के।

अब, मैं उनके पास हूं,
ना कोई डर, ना कोई कसर।
उनकी हंसी, उनका चेहरा,
सिर्फ़ इस पल में समाया है मेरा अस्तित्व।

उनकी अनुपस्थिति का भय नहीं,
क्योंकि अब मैं समझता हूं,
अलगाव का अर्थ कटना नहीं,
यह तो एक पूर्ण स्वीकार है।

मैं उनके होने को बिना सवालों के गले लगाता हूं,
उनकी हर एक बात में शांति की खोज करता हूं।
जब मैं उनकी संगति में हूं,
मैं बस उसी में डूबा रहता हूं, जैसे समुंदर में लहरें।


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कुछ लोग यूँ ही चले जाते हैं, जैसे धूप में कोई पेड़ कट जाए। मैं वहीं खड़ा रह जाता हूँ, जहाँ कभी उसकी छाँव थी। वो बोलता नहीं अब, पर उसकी चुप्प...