संवाद और संगम



संवाद से जुड़े जो दो दिल,
मन की गहराई, भावों की खिल।
शब्दों की धार से बहे जो प्रवाह,
बन जाता है प्रेम का अथाह।

विचारों का मिलना, आत्मा का स्पर्श,
संवेदनाओं में होता एक नया उत्कर्ष।
जब बातें गूंजें दिल की गहराई में,
शरीर भी झूम उठे उन्हीं सच्चाई में।

स्पर्श तो बस है एक बहाना,
आत्मा का संगम है असली खजाना।
जहाँ करुणा और प्रेम हो रूह के पास,
वहीं मिलता है सच्चे सुख का आभास।

संवाद से जो बंधे दिलों का संगम,
जैसे स्वर्ग में हो प्रेम का आलिंगन।
तन-मन के इस अद्भुत मेल में,
खो जाते हैं दोनों किसी और खेल में।

यह केवल देह का खेल नहीं,
यह आत्मा का मेल सही।
संवाद से जो जलती है ज्योति,
संगम में मिलती है उसकी प्रतीति।


सच्ची उन्नति का मार्ग



न विज्ञान, न तकनीक की रेखा,
सच्ची उन्नति तो है चेतना का लेखा।
जहां विचारों में हो सृजन की गूंज,
वहां ही खिलता है सभ्यता का पूंज।

ऋषियों का संदेश, योगियों का ज्ञान,
मुझे दिखाता है आत्मा का मुकाम।
शरीर से परे, मन से भी दूर,
सत्य का द्वार है, जिसमें हो न शोर।

सांसों में बसी है ब्रह्म की कथा,
हर पल में छिपी है आत्मा की प्रथा।
जब ध्यान में बैठूं, और खोजूं गहराई,
तो दिखे एकता, जो जग से जुड़ाई।

मैं न केवल देह, न केवल विचार,
मैं हूं अनंत, जो भेद से परे अपार।
यही है जीवन का सच्चा आयाम,
जो जोड़ दे मुझको ब्रह्म के संग्राम।

आओ सहेजें ऋषियों की धरोहर,
यही है सभ्यता की असली गहराई का अवसर।
सृजन और चेतना, जीवन का सार,
यही है मानवता का सच्चा आधार।


संवाद और संगम

संवाद से जुड़े जो दो दिल, मन की गहराई, भावों की खिल। शब्दों की धार से बहे जो प्रवाह, बन जाता है प्रेम का अथाह। विचारों का मिलना, आत्मा का स्...