सांसों की सरगम



**सांसों की सरगम**

सांसों की सरगम में,
लिपटी हैं अनकही बातें।
हर रात की आगोश में,
खो जाती हैं कुछ सौगातें।

सांसों के इस खेल में,
इच्छाओं का है मेल।
हर स्पर्श का जादू,
खुशियों का है झील।

कामनाओं की लहरें,
उठती हैं सागर सी।
हर बूँद की बारीकियाँ,
कहती हैं कुछ बेमिसाल सी।

अधरों पर सिगरेट की तलब,
और पीने का नशा।
हर मुरझाए पल को,
देती हैं नई आशा।

मिलन की इस बगिया में,
संग-साथ का खेल।
हर आहट की कहानी,
कहती है दिल का मेल।

चाहतों के इस बंधन में,
सपनों का है सिलसिला।
हर रात की चाँदनी में,
है मोहब्बत का काफिला।

मस्ती भरे इन पलों में,
जुड़ती हैं खुशियों की डोर।
हर धड़कन के साज पर,
गाती है दिल की कोर।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...