मन की अवस्थाएँ और जीवन का संघर्ष


हर मन गुजरता है अलग-अलग चरणों से,
दुख के अंधेरों और आशा के किरणों से।
कभी हारा, कभी थका, कभी बेबस दिखे,
तो कभी साहस में जलता हुआ दीपक लिखे।


कभी निराशा की छाया भारी,
कभी आशा का दीप उजियारी।
जीवन की इस गहरी धारा में,
हर चरण की अपनी तैयारी।

कई बार वो शांत, निष्क्रिय से लगें,
जैसे जीवन के अर्थ ही खो दें।
पर यह ठहराव भी है एक पड़ाव,
जहाँ से जागरण की शुरुआत हो लें।

हर अवस्था का है एक मकसद,
कभी गिरकर सिखता है हर रकब।
यह जड़ता भी बदलाव का हिस्सा,
मन जागे तो फिर दिखे उसका किस्सा।

जो गिरकर भी उठने का संकल्प करे,
वो अपने जीवन को अमरत्व भरे।
हर चरण, हर अवस्था को समझो,
जीवन की धारा को गहराई से परखो।

यह सच है, कुछ उदास होकर जीते,
पर मन के हर स्तर से आगे बढ़ते।
साथ दो उनका जो सहारा खोजें,
पर जागने का हौसला उनके भीतर बो दें।


"प्रेम का दिव्यता रूप"

प्रेम ही असली चीज़ है, जहाँ मन का हर बीज है। कामनाओं से परे की धारा, जहाँ आत्मा ने खुद को पुकारा। जब स्पर्श हो बिना वासना की छाया, तो प्रेम ...