Saturday 30 March 2013

आंदोलन लोकतंत्र के लिये शाप या अभिशाप


आन्दोलन लोकतंत्र के लिए शाप या अभिशाप आजकल  यही बात  सभी के जहन मे आ रही है. इन दिनो लगातार  बढ़ रहे अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को देखते हुए... हर तरफ से कोई ना कोई अपनी अपनी आवाज मे कुछ  ना कुछ कह रहा है..
लोगो का इस तरह से खुल कर अपनी आवाज बुलंद करना शुरू हुआ पिछले साल दिसंबर में हुई दिल्ली गैंग रेप के बाद ... जिसमे लोगो ने कैण्डल मार्च से लेकर हिंसक हंगामे तक अपना विरोध प्रकट किया .
विरोध एक ऐसा शब्द या यूं कहिए एक ऐसी धारणा  जो कि तब से शुरू हुई जब से इंसान दुनिया में आया और प्रगति करने लगा. तब से विऱोध की ये धारणा इंसानी दिमागी में बैठी है...जो कि कभी क्रान्ति का काम करती है और कभी बगावत का
भारत का इतिहास विऱोधों का गवाह रहा है..कभी मुगलों की आजादी के लिए... और कभी अंग्रेजों से आजादी के लिए.. क्योंकि विरोध से ही आन्दोलन पैदा होता है... और अंग्रोजों के विरोध में भारत को आजाद कराने के लिए कई आन्दोलन हुए...आखिरकार जब भारत 1947 में एक आजाद लोक तंत्र बना तो सभी को लगा कि अब ये विरोध की धारणा बदल जायेगी..जैसे ही भारत आजाद हुआ तो इस विऱोध ने भारत पाकिस्तान को अलग कर दिया.. बाद मे आजाद भारत में इन्द्रा गांधी के द्वारा लगाई गई emergency का विरोध को आन्दोलन का नाम दिया गया.. इस विरोध को उसी आधार पर आन्दोलन का नाम दिया गया जिस आधार पर गांधी जी ने अंग्रेजो के विरोध में सत्यग्रह किया था... इस विरोध को सत्यग्रह आन्दोलन कहा गया.. आपातकाल  के विरोध में जे.पी. आन्दोलन के बाद तो जैसे भारत में आन्दोलनो का झड़ी लग गई.. भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आन्दोलन करने वाला या यूं कहे आन्दोलन झेलने वाला देश बन गया... और ये विरोध आज तक जारी है.. कभी ये विरोध भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना के आन्दोलन के रूप दिखता है... तो कभी नक्सली आन्दोलन के रूप में... कभी ये विरोध अलग राज्य की मांग के रूप में दिखता है.. तो कभी पर्यावरण बचायो आन्दोलन.. तो कभी महिला सुरक्षा से लेकर बीजली पानी, सड़क दूर्घटना, प्रशासन के खिलाफ लापरवाही तक के आन्दोलन आये दिन सुनायी देते हैं.... ये आन्दोलन लोकतांत्रिक बुनियाद के लिए जरूरी भी  होते  हैं.... क्योंकि इससे सत्ताधारीयों को  याद रहता है कि असली सत्ता आम लोगों के पास होती है.. और जनता मे ऐसे भी लोग है जो की हुकमारनो पर नजर रखें हैं..
मगर इस स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का एक ओर रूप भी है...जब आन्दोलन कारी इस लचीले लोकतंत्र का फायदा उठाकर इस विरोध प्रदशन को एक उग्र रूप देते हैं... जो कि आये दिन होता रहता है.... कभी सड़को पर तोड़ फोड़ तो कभी भारत बंद जिसमें लोग नारे बाजी से लेकर पथराव और बम से लेकर बन्दूक तक का उपयोग करते हैं... ये विरोध का एक छोटा सा रूप है  मगर जब ये विरोधावाद बड़ जाता है तो कभी आंतकवाद का रूप ले लेता है तो कभी नक्सलवाद का... जो कि आज कल सबसे भयानक प्रदर्शन है अपना विरोध करने के लिए..इसके पीछे अलग अलग तर्क दिये जाते हैं... कोई अलग कश्मीर की मांग कर रहा है तो कोई आजाद भारत में अपने आप को आजाद नहीं मानता....इसमें मुझे गढ़चिरौली  के एक लोक नायक की कुछ लाइने याद आ रही है सुना है ... कि आजादी मिल गई है कुछ 50 – 60 साल पहले वह लाल किले से तो चला था पर  पता नहीं कहां खो गया, उसको बहुत ढूंढा मगर अभी तक मिला नही, देखा नही आज तक कैसा है गोरा है कि काला, लंबा है या छोटा, भाई किसी को अगर मिल जाये तो हमारे गांव में जरूर भेज देना किसी ने आज तक आजादी देखी नही है....
ये लाइन लोक तंत्र का एक रूप दिखाती है जहां लोग अपने आपको आजाद नही मानते हैं...और  एक ऐसा रूप भी है जंहा लोग इतना कुछ बोल जाते है कि जैसे सारी आजादी इन्ही को मिली हो... चाहे शिवसेना का मराठी राग हो, राज ठाकरे का यू. पी. बिहार विरोधी भाषण हो, और किसी का हिन्दू विरोधी राग तो किसी का मूस्लीम विरोधी भाषण ये दर्शाता है कि हमारें समाज में हर किसी को बोलने और विरोध करने का हक है.... किसी के बयान, लेख, किताब या फिर फिल्म का विरोध और उसके बाद पाबंदी इसलिए लगाई जाती है क्योकि इससे किसी खास वर्ग या व्यकित को आहत होता है...
आखिर कार लोक तंत्र में किस तरह का विरोध होना चाहिए.. यह विरोध या आन्दोलन लोकतंत्र के लिए खतरा बने या मजबूती.. ये एक बहुत बड़ा सवाल और चिन्ता का विषय है हमारे समाज के लिए...
इसमे सिर्फ सरकार कोई ही कदम नहीं उठाने हैं बल्कि आम से लेकर खास लोग जो विरोध कर रहे हों या फिर जिनके खिलाफ विरोध हो रहा हो जरूरी है  संयम और सूझ बूझ के साथ अहिंसात्मक रूप अपनाना

Friday 22 March 2013

पनाह


ये जिन्दगी भी अभी किस मोड़ पर है
न मंजिल है न राह है
फिर भी दिल में एक चाह है
पाना है उसे जिसे सपने मे देखा है
उसी में जिन्दगी और मौत की पनाह है ।

दूर दिखती एक रोशनी 
जिसमे अपना नूर नजर आता है
जाना है वहां, कोई न अपना जहां है
फिर भी दिखते अपने अजनबी कुछ वहां है
पाना है उसे जिसे सपने में देखा है
उसी मे जिन्दगी और मौत की पनाह है ।

Tuesday 19 March 2013

लड़ाई



लड़ाई

अपने आप से लड़ रहा हूं मै
एक दोष है मुझमे जिसे दूर करना चाहता हूं
मगर न जाने क्यों अपने आप से हार जाता हूं मै
अपने हाथ से ही अपने आप को मारता जा रहा हूं

ये कैसी लड़ाई है  ?
जिसमे जीत भी मेरी, और हार भी मेरी
क्या कबूल करूं ?

ना जीत चाहता हूं ना हार
फिर भी न जाने क्यो
अपने आप से लड़ रहा हूं मैं

Saturday 16 March 2013

कई ओर भी हैं


गफ़लत के मारे कई ओर भी हैं
खुदा के सहारे कई ओर भी हैं

किस किस को देखे सोचे किसे अब
तुम्ही से हमारे कई ओर भी हैं

 नजर मैं चढ़े हो तो दिल को भी देखो
कसम से नजारे कई ओर भी हैं

जो दिल मांगा हमने तो बोले वो....
दीपक... तेरे जेसे आरे जारे कई ओर भी हैं

Friday 15 March 2013

पर्वत-सी पीर

अपनी कविता लिखने से पहले अपने सबसे पसंदीदा कवि दुष्यन्त कुमार की खुन खो ला देने वाली  कविता ! 

पर्वत-सी पीर

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।

हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।

- दुष्यन्त कुमार

Wednesday 13 March 2013

देश गरीब भगवान अमीर


भारत जितना बड़ा धार्मिक देश है उतने ही ज्यादा यहां धार्मिक स्थल है... और इन धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं के द्धारा दान दिया जाता है जिसके चलते अलग-अलग मंदिरोदरगाहोंऔर गुरूद्वारों में करोड़ों रूपये की दान सम्पती पड़ी है .... इस सम्पति में नगद रूपयें के अलावा करोड़ों का सोना पड़ा है... आइए जानते है ऐसे कुछ धार्मिक स्थलों के बारे में जंहा सबसे ज्याद सम्पति है...        


   तिरुपति बालाजी 
भारत के धनी मंदिरों की लिस्ट में तिरुपति बालाजी शीर्ष पर हैं... भगवान का खजाना पूराने जमाने के राजा-महराजाओं को भी मात देने वाला है... तिरुपति के खजाने में आठ टन ज्वेलरी है... 650 करोड़ रुपए की वार्षिक आय के साथ तिरूपति बालाजी भारत में सबसे अमीर देवता है... अलग-अलग बैंकों में मंदिर का 3000 किलो सोना जमा और मंदिर के पास 1000 करोड़ रुपए फिक्स्ड डिपॉजिट हैं... 300 ईसवी के आसपास बने भगवान विष्णु के वेंकटेश्वर अवतार के इस मंदिर में रोज करीब 50 हजार से एक लाख लोग आते हैं... साल के कुछ खास दिनों विशेषकर नवरात्र के दिनों में तो यहां 20 लाख तक लोग हर दिन दर्शन करने पहुंचते हैं... बड़ी संख्या में यहां सिर्फ श्रद्धालु ही नहीं आतेबल्कि उनका चढ़ावा भी बहुत भारी-भरकम होता है... नवरात्र के दिनों में ही 12 से 15 करोड़ रुपए नकद और कई मन सोना चढ़ जाता है... बालाजी के मंदिर में इस समय लगभग 50,000 करोड़ रुपए की  संपत्ति मौजूद हैजो भारत के कुल बजट का 50वां हिस्सा है... तिरुपति के बालाजी दुनिया के सबसे धनी देवता हैंजिनकी सालाना कमाई 600 करोड़ रुपए से ज्यादा है.... यहां चढ़ावे को इकट्ठा करने और बोरियों में भरने के लिए बाकायदा कर्मचारियों की फौज है... पैसों की गिनती के लिए एक दर्जन से ज्यादा लोग मौजूद हैं और लगातार उनकी शिकायत बनी हुई है कि उन पर काम का बोझ बहुत ज्यादा है... किसी-किसी दिन तो ऐसा भी होता है कि तीन से चार करोड़ रुपए तक का चढ़ावा चढ़ जाए और रुपये-पैसे गिनने वाले कर्मचारी काम के भारी बोझ से दब जाएं.... ये तो तब हैजब बालाजी के मंदिर में आमतौर पर लोग छोटे नोट नहीं चढ़ाते... यहां सोनाचांदीहीरेजवाहरात और प्लेटिनम की ज्वेलरी तो चढ़ती ही हैसुविधा के लिए भक्त इनका बांड {bond} भी खरीदकर चढ़ा सकते हैं... बालाजी के मंदिर में हर साल 350 किलोग्राम से ज्यादा सोना और 500 किलोग्राम से ज्यादा चांदी चढ़ती है... ये स्थिति तब थी जब अंग्रेज भारत आए थे… वे बालाजी मंदिर की शानो-शौकत और चढ़ावा देखकर दंग रह गए थे... कहते हैं ईस्ट इंडिया कंपनी बड़े पैमाने पर बालाजी मंदिर से  सोना - चांदी खरीदती थी... वर्ष 2008-09 का बालाजी मंदिर का बजट 1925 करोड़ था... इस मंदिर की देखरेख करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट ने 1000 करोड़ रुपए की फिक्स डिपोजिट कर रखी है... कुछ महीनों पहले कर्नाटक के पर्यटन मंत्री जनार्दन रेड्डी ने हीरा जडि़त 16 किलो सोने का मुकुट भगवान बालाजी को चढ़ाया था... जिसकी घोषित कीमत 45 करोड़ रुपए थी... दरअसलयेदयुरप्पा सरकार की नाक में दम करने वाले बेल्लारी के रेड्डी बंधुओं ने खनन कारोबार में 4,000 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था... उसी मुनाफे का 1 प्रतिशत इन्होंने भगवान बालाजी को बतौर कमीशन अदा किया थालेकिन आप यह न सोचें कि भगवान वेंकटेश्वर या बालाजी को पहली बार इतना महंगा मुकुट किसी भक्त ने भेंट किया होगा... वास्तव में बालाजी के मुकुटों के भंडार में यह 8वें नंबर पर ही आता है... इस तरह के उनके पास पहले से ही करीब 15 मुकुट हैं... भारत के सबसे अमीर मंदिर तिरुपति के संरक्षकों ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पास करोड़ों रुपए का सोना जमा किया है... इनसे मंदिर को आर्थिक आय होगी.. तिरुमला तिरुपति देवस्थानम् ट्रस्ट के चेयरमैन जे सत्यनारायण ने 1,175 किलो सोना स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के हैदराबाद सर्किल के जीएम टीएस कृष्णा स्वामी को सौंपा... ट्रस्ट के एक्जीक्युटिव ऑफिसर आईवाईआर कृष्णा राव और सदस्य नागी रेड्डी भी मौजूद थे... तिरुपति के पास भारत में सबसे ज्यादा सोना है और उसने इसे तिजोरियों में रखने की बजाय बैंकों में रखना शुरू किया है... इससे उसे ब्याज मिलता है... सन् 2011 में भी उसने 1,075 किलो सोना स्टेट बैंक ऑफ इडिया में रखा था ... ट्रस्ट चाहता है कि सभी बैंक उसका सोना रखें...            
 शिरडी के साईं बाबा मंदिर
सत्य साईं के निधन के बाद उनके कमरे से चौंकाने वाली जानकारी लगातार सामने आ रही है….. पुट्टापर्थी में सत्य साईं के यजुमंदिर के ग्यारह प्राइवेट कमरों से 77 लाख रुपए कीमत के सोने चांदी और हीरे जवाहरात मिले… इससे पहले भी सत्य साईं के कमरे से करीब चालीस करोड़ रुपए की संपत्ति मिली थी… शिरडी स्थित साईं बाबा का मंदिर देश के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है... सरकारी जानकारी के मुताबिक इस प्रसिद्ध मंदिर के पास 32 करोड़ रुपए के अभूषण हैं और ट्रस्ट ने 450 करोड़ रुपए का निवेश कर रखा है...धनी मंदिरों की फेहरिस्त में इन दिनों चरम लोकप्रियता की तरफ बढ़ रहे शिरडी का साई बाबा मंदिर भी शामिल हैजिसकी दैनिक आय 60 लाख रुपए से ऊपर है और सालाना आय 210 करोड़ रुपए की सीमा पार कर चुकी है... शिरडी साई बाबा सनातन ट्रस्ट द्धारा संचालित यह मंदिर महाराष्ट्र का सबसे धनी मंदिर हैजिसकी कमाई लगातार बढ़ रही है.... मंदिर के प्रबंधकों के मुताबिक 2004 के मुकाबले अब तक 68 करोड़ रुपए से ज्यादा की सालाना बढ़ोतरी हो चुकी है... यहां भी बड़ी तेजी से चढ़ावे में सोने और हीरे के मुकुटों का चलन बढ़ रहा है... चांदी के आभूषणों की तो बात ही कौन करे...              
सिद्धिविनायक मंदिर
मुंबई में स्थित सिद्धिविनायक मंदिरमहाराष्ट्र राज्य में दूसरा और देश में तीसरे नंबर का सबसे अमीर मंदिर है…..सिद्धिविनायक मंदिर की सालाना आय 46 करोड़ रुपए है वहीं 125 करोड़ रुपए फिक्स्ड डिपॉजिट में जमा है..... इस मंदिर की सालाना कमाई 46 करोड़ रुपए वर्ष 2012 में पहुंच चुकी थीजिसमें मंदी के बावजूद इस साल इजाफा ही हुआ है.... सिद्धिविनायक मंदिर का भी 125 करोड़ रुपए का फिक्स डिपोजिट है... महाराष्ट्र के इस दूसरे सर्वाधिक धनी मंदिर की सालाना कमाई कुछ साल पहले करोड़ रुपए थी जो पिछले साल एक दशक में बहुत तेजी से बढ़ी है.... मंदिर के सीईओ हुनमंत बी जगताप के मुताबिक देश और विदेश में भक्तों की आय बढऩे के कारण मंदिर की भी आय में भारी इजाफा हुआ है... इस इंटरनेट के जमाने में मंदिर दर्शन कराने के मामले में ही नहींचंदा वसूल करने के मामले में भी हाईटेक हो चुका है... यही कारण है कि मंदिर में लाख रुपए से लेकर लाख रुपए तक के सोने और प्लेटिनम के कार्ड उपलब्ध हैं... यानी अगर आप चाहें तो लाख रुपए का कूपन खरीद कर सिद्धिविनायक भगवान गणेश को चढ़ा सकते हैंउन्हें कूपन भी पसंद है...
कुल मिलाकर हिंदुस्तान भले गरीब होयहां दुनिया के सबसे संपन्न मंदिरगुरुद्वारे और मजारें हैं… कहा जा सकता है कि भारत वह गरीब देश हैजहां अमीर भगवान बसते हैं… संख्या की दृष्टि से दुनिया में सबसे अधिक निर्धन लोग भारत में रहते हैं… इस बात का खुलासा लोकमित्र विश्व खाद्य कार्यक्रम में हुआ है… शायद यही कारण है कि दुनिया में भुखमरी से जितने लोग पीडि़त हैं उनमें से 50 फीसदी अकेले भारत में रहते हैंजिस देश में सबसे ज्यादा गरीब रहते हैंउसी देश में सबसे ज्यादा अमीर मंदिर स्थित हैं… वैसे यह बताना तो मुश्किल है कि भारत में कुल कितने मंदिर हैंलेकिन एक अनुमान के मुताबिक भारत में 10 लाख से भी अधिक मंदिर हैं और इनमें से 100 मंदिर ऐसे हैं जिनका सालाना चढ़ावा भारत के बजट के कुल योजना व्यय के बराबर होगा… अकेले 10 सबसे ज्यादा धनी मंदिरों की ही संपत्ति देश के 100 मध्यम दर्जे के टॉप 500 में शामिल उधोगपतियों से अधिक है

      
    सोने के देवता

इन मंदिरों मे रूपये के अलावा सोना सबसे अधिक चढ़ाया जाता है.... भारत में जंहा सोना 32 हजार रूपये का है....  यहां के मंदिरों में सोने के मुकुट, माला, और मुर्तियां हजारों की संख्या में है.....मंदिरें में इतना सारा सोना stock के रूप में पड़ा है.... जिससे सोने के दाम लगातार बढ़ रहे है.... यदि ये सोना फिर से बाजार में आजाऐ तो काफी हद तक सोने के दाम गिर सकते है... 

दीप जले तो जीवन खिले

अँधेरे में जब उम्मीदें मर जाएं, दुखों का पहाड़ जब मन को दबाए, तब एक दीप जले, जीवन में उजाला लाए, आशा की किरण जगमगाए। दीप जले तो जीवन खिले, खु...