पनाह


ये जिन्दगी भी अभी किस मोड़ पर है
न मंजिल है न राह है
फिर भी दिल में एक चाह है
पाना है उसे जिसे सपने मे देखा है
उसी में जिन्दगी और मौत की पनाह है ।

दूर दिखती एक रोशनी 
जिसमे अपना नूर नजर आता है
जाना है वहां, कोई न अपना जहां है
फिर भी दिखते अपने अजनबी कुछ वहां है
पाना है उसे जिसे सपने में देखा है
उसी मे जिन्दगी और मौत की पनाह है ।

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