अनन्त सफर 2

**अनन्त सफर**

चल रहा हूं, नयी दिशा की ओर,  
मेरा चंचल मन, नया कुछ जानने लगा है।  
गलतियों की राहों में, सही कदम चलने लगा है,  
कुछ गलत काम को कम, कुछ सही कदम मांगते चलने लगा है।  

मेरे कदम, कदम कदम पर बाप रहे हैं,  
लोगों से मिलते हैं, खुद को जानते हैं,  
हर कदम पर, अपने आप को जानते हुए,  
मैं चल रहा हूं, बस चलता ही जाऊं।  

शब्दों में खोया, शब्द में मैं,  
सभी में कुछ न कुछ, खोट रहा है।  
अपने आप को ढूंढने, निकला हूं,  
हीरे से कोयला, कोयले से हीरा,  
बानो से कोयले, कोयले से हीरा,  
हीरे से सोना, सोने से हीरा,  
मैं कीमती बानो, अनमोल बानो,  
सबसे ऊपर, सबसे आगे, सबसे पीछे, सबसे आगे।  

अपने सफर में, मैं बढ़ता हूं,  
बस बढ़ता ही जाऊं, अपने सपनों की ओर।  
जाने में ही रहूं, बस में ही रहूं,  
इस बात पर, मैं रहूं, बस में ही रहूं।  

नई दिशा की ओर, अपने मन को संगीन,  
हर कदम पर, नयी राह का आनंद लेने में।  
बस बढ़ता ही जाऊं, अपने सपनों की ओर,  
चल रहा हूं, नयी दिशा की ओर।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...