जिन्दगी की राहों में गहराई सी बसी है,
सपनों की उड़ान, मिट्टी से ही न बनी है।
हर रोज़ एक नया सफ़र, हर पल एक नयी राह,
गम के साथ चलना, खुशियों की धूप में खिलना सीखा है।
चलो, अब उठें, उड़ें, नई राहों में बढ़ें,
सपनों के साथ दिल को मुस्काना सीखा है।
मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...