चलो ठीक है, यहाँ एक बड़ी शायरी है:



जिन्दगी की राहों में गहराई सी बसी है,
सपनों की उड़ान, मिट्टी से ही न बनी है।
हर रोज़ एक नया सफ़र, हर पल एक नयी राह,
गम के साथ चलना, खुशियों की धूप में खिलना सीखा है।
चलो, अब उठें, उड़ें, नई राहों में बढ़ें,
सपनों के साथ दिल को मुस्काना सीखा है।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...