आत्मा की पारिश्रमिक से मुक्ति: जीवन के विपदों में भी आनंद का सार


जीवन के विपदाओं में दुःख का सामना करना अपरिहार्य है, परंतु आध्यात्मिकता एक गहरे परिवर्तन का दृष्टिकोण प्रदान करती है—एक मात्रात्मक जीवन से परे उच्चतम सत्य की ओर। 

संस्कृत श्लोक:
"अहं ब्रह्मास्मि" - "Aham Brahmasmi"
"तत्त्वमसि" - "Tat Tvam Asi"
"सत्यमेव जयते" - "Satyameva Jayate"

जीवन की कठिनाइयों में भी आत्मा की पारिश्रमिक से मुक्ति का सार छिपा होता है। एक ऐसा उदाहरण है महाभारत का अर्जुन। उन्होंने कुरुक्षेत्र के मैदान में अपने कर्तव्य को पूरा करते हुए भगवद् गीता के ज्ञान का आश्रय लिया और धर्मयुद्ध में उन्होंने अपने मन की विचारधारा को पाया। 

एक और उदाहरण है स्वामी विवेकानंद का, जिन्होंने अपने आत्मा की अनुभूति के माध्यम से जीवन को समझा और मानवता के लिए काम किया। 

संजीवनी मंत्र के उपयोग से लक्ष्मण को जीवित करने की कथा भी एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो हमें बताती है कि आत्मा की शक्ति अद्भुत है और वह हर संघर्ष को पार कर सकती है। 

आत्मा के साथ होने का अर्थ है नहीं कि तीसरे आयाम की कठिनाइयों को नकारा जाए, बल्कि यह सत्य के प्रति अंदर की ओर एक यात्रा है। यह हमें यह बताता है कि हमारी अस्तित्व का गहना उस से जुड़ा हुआ है—प्रकृति, देवताओं, ब्रह्मांड स्वयं। आध्यात्मिकता को अपनाने में, हम इस जटिल अस्तित्व के इस जाल में हमारी जगह को स्वीकार करते हैं, इसके ज्ञान में शांति के लिए आत्मार्पण करते हैं।

बारिश हमे कुछ सिखाती है 2

ये बारिश हमे कुछ सिखाती है,  
ट्रेनर बनकर ट्रेन होना,  
सूखे में गिला होना,  
और गीले में सुखा होना।  

जब बूंदें बरसती हैं, आसमान से,  
धरती हंसती है, हरियाली छाई,  
सूखा था जो बंजर, अब नम हो गया,  
प्रकृति ने मानो नव जीवन पाया।  

सुख-दुख का ये अद्भुत मेल,  
जीवन का ये अनोखा खेल,  
बरसात में सिखाती है,  
समय का चक्र कभी स्थिर नहीं रहता।  

सूखे में धैर्य रखना,  
गीले में संतुलन बनाना,  
प्रकृति के हर रंग में,  
जीवन का सार समझना।  

ये बारिश की बूंदें,  
न केवल धरती को गीला करती हैं,  
बल्कि हमारे दिलों को भी,  
संवेदना से भर देती हैं।  

इस मौसम का हर पल,  
कुछ नया सिखाने वाला,  
ट्रेनर बनकर हमें,  
जीवन की ट्रेन बनाना।  

बरसात का ये अनुभव,  
हमेशा याद रहेगा,  
सूखे में गिला होना,  
और गीले में सुखा होना।

श्वासों के बीच का मौन

श्वासों के बीच जो मौन है, वहीं छिपा ब्रह्माण्ड का गान है। सांसों के भीतर, शून्य में, आत्मा को मिलता ज्ञान है। अनाहत ध्वनि, जो सुनता है मन, व...