मंजिलें पास, पर लगती हैं कम।
दोपहर की धूप में तपते हैं पथ,
मिटेगी कब ये कड़ी मेहनत की थकन?
हर क्षण को गिनते हैं, बढ़ते हैं कदम,
उम्मीद की किरणों में बुनते हैं सपन।
समय की चाल से होड़ लगाते,
सपनों की ऊँचाईयों को छूने जाते।
डेडलाइन की सीमा में बंधे हैं हम,
पर सपनों की उड़ान से नहीं थमें।
कर्मवीर बन, संघर्ष की राह पर,
हर चुनौती को अपनाते हैं हम।
समय के साथ कदम से कदम मिलाकर,
जीतेंगे हर डेडलाइन, न रुकेंगे हारकर।
यह संग्राम अनंत, पर मन में है ठान,
हर मुश्किल पार कर, करेंगे नाम महान।