लड़ाई



लड़ाई

अपने आप से लड़ रहा हूं मै
एक दोष है मुझमे जिसे दूर करना चाहता हूं
मगर न जाने क्यों अपने आप से हार जाता हूं मै
अपने हाथ से ही अपने आप को मारता जा रहा हूं

ये कैसी लड़ाई है  ?
जिसमे जीत भी मेरी, और हार भी मेरी
क्या कबूल करूं ?

ना जीत चाहता हूं ना हार
फिर भी न जाने क्यो
अपने आप से लड़ रहा हूं मैं

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...