गंगा जल: आध्यात्मिक आस्था और आधुनिक विज्ञान में समानता

## गंगा जल: आध्यात्मिक आस्था और आधुनिक विज्ञान में समानता

### प्राचीन और आध्यात्मिक मान्यता:

महाभारत के अनुसार:

**तत्र ऋषि गण गन्धर्वा वसुधा तल वासिनः।  
भव अंग पतितम् तोयम् पवित्रम् इति पस्पृशुः॥**

इस श्लोक में यह वर्णित है कि गंगा का जल पवित्र माना गया है क्योंकि यह भगवान शिव के सिर से होकर बहता है। गंगा जल को हमेशा से ही धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत पवित्र माना गया है। गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

### आधुनिक विज्ञान:

आज के वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गंगा जल की विशेषताओं का अध्ययन किया गया है। चंडीगढ़ स्थित माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी संस्थान (IMTECH) के माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने गंगा के जल में बैक्टीरियोफेज नामक वायरस की एक बड़ी संख्या पाई है। यह बैक्टीरियोफेज बैक्टीरिया को खाते हैं और गंगा के जल को शुद्ध रखते हैं। गंगा में यह बैक्टीरियोफेज अन्य नदियों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इस कारण से गंगा जल में जीवाणुरोधी गुण भी होते हैं।

### गंगा स्नान की महिमा:

गंगा में स्नान को अत्यंत शुभ माना गया है। पूरे वर्षभर विशेषकर ब्रह्म मुहूर्त में गंगा में स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। कुंभ और गंगा दशहरा जैसे विशेष अवसरों पर गंगा में स्नान करने का महत्व और भी बढ़ जाता है।

### काव्य:

**गंगा तेरा पावन जल,  
मन को पवित्र कर दे पल।  
शिव की जटाओं से बहकर,  
हर हर गंगे का जयघोष कर।**


प्राचीन काल से गंगा जल को पवित्र माना जाता रहा है और आधुनिक विज्ञान ने भी इसके विशेष गुणों की पुष्टि की है। चाहे धार्मिक दृष्टिकोण से हो या वैज्ञानिक, गंगा जल की महिमा अपरंपार है।

**हर हर गंगे। **

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