मैं और मेरे छूटे हुए दोस्त



कभी सोचता हूँ,
मेरे चारों ओर जो लोग थे,
वे क्यों धीरे-धीरे धुंधले होते गए?
क्यों अचानक उनकी मुस्कानें
मेरे लिए फीकी पड़ गईं?
क्यों उनके शब्द
मेरे हृदय तक पहुँचने से पहले ही
भारी पत्थर की तरह गिर गए?

पहले मुझे लगता था —
शायद मेरी ही कोई कमी है,
शायद मैंने कुछ गलत कहा,
शायद कोई बुरी नज़र
हमारी मित्रता पर लग गई।
मैंने दोष दिए आसमान को,
कभी ग्रह-नक्षत्रों को,
कभी अदृश्य ऊर्जाओं को।

पर धीरे-धीरे,
जैसे ही भीतर का अंधेरा
सत्य की एक किरण से चिर गया,
मुझे एहसास हुआ —
कि यह दूरी कोई संयोग नहीं थी।
मैं चल पड़ा था उस राह पर
जहाँ उनके कदम पहुँच ही नहीं सकते थे।

मैं उठ रहा था उस ऊँचाई पर
जहाँ शोरगुल थम जाता है,
जहाँ विचार मौन में विलीन हो जाते हैं,
जहाँ आत्मा अपना संगीत सुनती है।
और वे,
अब भी धरती की धूल में
अपने छोटे-छोटे खेलों में उलझे हुए थे।

मैंने उन्हें पुकारा,
पर मेरी आवाज़ उनके लिए
किसी अजनबी भाषा जैसी थी।
मैंने हाथ बढ़ाया,
पर उन्होंने मेरी उंगलियों में
एक अनजान दूरी महसूस की।

तब समझा —
वे कभी मेरे साथ नहीं थे,
वे केवल मेरी छाया के साथी थे।
जब मैं छाया से आगे,
प्रकाश की ओर बढ़ा,
तो वे ठिठक गए वहीं —
जहाँ अंधेरा ही उनका घर था।

आज मैं अकेला हूँ,
पर इस अकेलेपन में
एक अनोखी गहराई है।
अब मुझे न डर है,
न शिकायत है।
क्योंकि जान चुका हूँ —
सच्चे साथी वही हैं
जो आत्मा की उड़ान को समझें,
न कि केवल धरती की धूल को।

मैं आगे बढ़ रहा हूँ,
अपने भीतर की ऊँचाइयों की ओर,
जहाँ प्रेम, शांति और सत्य
अनंत आकाश की तरह फैले हैं।
और मैं मुस्कुराता हूँ —
क्योंकि अब मुझे पता है
कि मैंने उन्हें नहीं खोया,
बल्कि स्वयं को पा लिया है।


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मन की गहराई से सफाई

### मन की गहराई से सफाई: एक मार्गदर्शक

हमारे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण यात्रा हमारी अपनी मानसिक शांति और संतुलन की यात्रा होती है। अक्सर, हम बाहरी दुनिया में सफाई पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन आंतरिक मन की सफाई उतनी ही आवश्यक है। मन को गहराई से साफ करने का अर्थ है नकारात्मक विचारों, भावनाओं और मानसिक क्लेशों से मुक्ति प्राप्त करना।

#### प्राचीन शास्त्रों में मानसिक शुद्धता का महत्व

मन की शुद्धता के बारे में प्राचीन शास्त्रों में भी बहुत कुछ कहा गया है। भगवद गीता में, श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देते हुए कहा:

**"चित्तस्य शुद्धये कर्म, न तु वस्तुलाभाय"**

अर्थात, कर्म का उद्देश्य मन की शुद्धि होना चाहिए, न कि केवल भौतिक लाभ प्राप्त करना।

#### मानसिक सफाई के उपाय

1. **ध्यान और योग**: ध्यान और योग मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त करने के सर्वोत्तम साधन हैं। नियमित ध्यान और योग करने से मानसिक क्लेशों से मुक्ति मिलती है।
   
    **"योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः"** (योगसूत्र 1.2)
    अर्थात, योग चित्त की वृत्तियों का निरोध है।

2. **सकारात्मक सोच**: हमारे विचार हमारे जीवन को आकार देते हैं। सकारात्मक सोच को अपनाना मानसिक सफाई का महत्वपूर्ण अंग है।

    **"मन के हारे हार है, मन के जीते जीत"** (कबीरदास)

3. **स्वयं से संवाद**: अपने आप से संवाद करना और अपने विचारों को समझना भी मानसिक शुद्धि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह आत्मनिरीक्षण और आत्मविश्लेषण का माध्यम है।

4. **पुस्तक पठन**: अच्छी और प्रेरणादायक पुस्तकों का पठन मन को सकारात्मक ऊर्जा और नई दृष्टि प्रदान करता है।

#### काव्य और श्लोकों का महत्व

कविता और श्लोक हमारी आत्मा को प्रेरित करते हैं और मानसिक सफाई में सहायक होते हैं। यहाँ कुछ उदाहरण दिए गए हैं:

**"वसुधैव कुटुम्बकम्"**
अर्थात, पूरी दुनिया एक परिवार है। इस भावना को अपनाकर हम नकारात्मकता से दूर हो सकते हैं।

**"सत्यमेव जयते"**
सत्य की विजय होती है। सत्य को जीवन में अपनाने से मानसिक शुद्धि प्राप्त होती है।

#### निष्कर्ष

मन की गहराई से सफाई करने के लिए धैर्य, सकारात्मकता और आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता होती है। प्राचीन शास्त्रों, श्लोकों और कविताओं के माध्यम से हम अपने मन को शुद्ध और शांत बना सकते हैं। मानसिक शुद्धता की इस यात्रा में एकाग्रता, निरंतरता और सही मार्गदर्शन आवश्यक है।

**"अशांति में शांति खोजें, अंधकार में प्रकाश ढूँढें"**

हमारा मन ही हमारा सबसे बड़ा मित्र और शत्रु है। इसे शुद्ध और सकारात्मक बनाकर हम जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और शांति प्राप्त कर सकते हैं।