समय और दूरी से परे



संबंध वो नहीं जो समय का मोहताज हो,
और ना ही वो जो दूरी का हिसाब रखे।
यह वो धागा है,
जो आत्माओं को बिना शर्त बांधता है।

जब पहली बार तुम्हारी आंखों में देखा,
समय थम-सा गया।
ना दिन था, ना रात,
बस एक शाश्वत क्षण था,
जो हमारी आत्माओं को जोड़ गया।

"न कालस्य गणना, न दूरी की सीमा,
जहां आत्मा मिले, वहीं सारा जीवन रीमा।"

समय की रेत से गुजरते हुए,
दूरी के पहाड़ लांघते हुए,
हमेशा महसूस हुआ,
तुम्हारा स्पर्श,
जैसे कोई अदृश्य शक्ति,
मुझे संभाल रही हो।

कभी कोई पत्र नहीं,
कभी कोई शब्द नहीं,
फिर भी संवाद गहराई में होता रहा।
जैसे हवा की सिहरन,
जो बिना देखे भी,
पत्तों को छू जाती है।

तुम और मैं,
दो शरीर, पर एक ही अस्तित्व।
दूरी हो या समय,
हमारे बीच कभी दीवार नहीं बन सके।
हमारा बंधन,
वह अनंत धारा है,
जो समय और स्थान से परे है।


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