Monday 26 November 2018

एक अदृश्य लड़ाई


 बड़े मुद्द्त के बाद अंदर फिर से कुछ मरा है 
जो रोज मरता नहीं, मगर हर दिन नया जन्म लेता है 
उसे मारने के लिए कठिन प्रयास करना पड़ता है 
हर रोज उसे मारने की कोशिश करता हूँ
 पर उसे मार नहीं पाता 

 जितना मैं  उससे लड़ता हूँ 
उतना ही  वो मजबूत होता
 उसके आगे कई  बार मैं घुटने तक देता हूँ 
 इस बार कई दिन की कोश्शि के बाद 
आज उसे मैं मार पाया हूँ 

मगर कल वो फिर से जन्म लेगा 
फिर से वही लड़ाई शुरू होगी 
शायद फर में है जाऊंगा 
मगर हारने के बाद ही  मैं उसे मार पाऊंगा 
ऐसी अपेक्षा मैं खुद से रखता हूँ 

दीप जले तो जीवन खिले

अँधेरे में जब उम्मीदें मर जाएं, दुखों का पहाड़ जब मन को दबाए, तब एक दीप जले, जीवन में उजाला लाए, आशा की किरण जगमगाए। दीप जले तो जीवन खिले, खु...