मैंने अब ठान लिया है, कि अपनी ज़िन्दगी खुद बनाऊँ,
दूसरों की राय से मुक्त होकर, अपनी राह पर बढ़ता जाऊँ।
जब तक मैं अपनी आंतरिक आवाज़ को सुनता हूँ,
तब तक मैं न कभी रुकता हूँ, न किसी से डरता हूँ।
लोग क्या सोचते हैं, वे क्या कहते हैं,
इनकी बातों से अब कोई फर्क नहीं पड़ता है।
मैं अपनी दिशा चुनूँ, अपना रास्ता तय करूँ,
हर कदम पर खुद को साबित करूँ, हर मुश्किल से लड़ा करूँ।
कभी पीछे मुड़कर न देखूँ, सिर्फ आगे बढ़ूँ,
मेरे पास अपनी ज़िन्दगी का सार है, यही मेरा विश्वास है।
हर दिन एक नई शुरुआत है, एक नई उम्मीद है,
जब तक मैं खुद से न हारूँ, तब तक मुझे कोई नहीं हरा सकता।
दुनिया भर की परेशानियाँ, सबका दबाव,
मैं जानता हूँ, सब समय की बात है, और मैं परिपक्व होता हूँ।
आगे बढ़ने से ही समझ आता है,
खुद को सही मायनों में जानना क्या है।
जब मैंने ठान लिया है, कि अब मुझे सिर्फ अपनी राह चुननी है,
तो कोई भी मुसीबत, कोई भी हालात मुझे रोक नहीं सकते।
यह मेरा समय है, मेरी ज़िन्दगी है,
मैं जितना चाहूँ, उतना करूँ, मैं खुद से सवाल नहीं करता।
जो मैंने चाहा, वही होगा, यही मेरी ताकत है,
मैं वही करता हूँ जो मुझे सही लगता है, यही मेरी पहचान है।
आगे बढ़ना है, और रुकना नहीं है,
खुद से कोई नहीं जीत सकता, जब मैं खुद को पहचानता हूँ।