मेरे जीवन का आधार क्या है, मैंने यह सोचा,
दुनिया की कसौटी पर क्यों खुद को परखा?
प्रभु ने दिए हैं मुझे अनमोल उपहार,
इनसे ही समझूं जीवन का सार।
किसी को लेखनी का वरदान मिला,
किसी को विचारों का गहन ज्ञान खिला।
किसी की गति तेज़, तो कोई धीरे चले,
हर कोई अपनी धुन में, अपनी राह तले।
हर उपहार प्रभु की एक योजना का हिस्सा है,
हर परिस्थिति में उनका उद्देश्य स्पष्ट लिखा है।
मुझे नहीं चाहिए अवसरों का अनंत विस्तार,
बल्कि जो मिला, उसमें ही करूं अपना संसार।
भक्ति के मार्ग पर जब मैं बढ़ता हूं,
प्रभु से विवेक का प्रकाश पाता हूं।
"योग: कर्मसु कौशलम्" का पाठ पढ़ता हूं,
सच्ची लगन से अपने कर्म में रम जाता हूं।
गीता कहती है, कर्म में फल की आस मत रखो,
बस समर्पण के साथ अपनी भूमिका निभाओ।
प्रभु ने जो दिया, उसमें ही सुखी रहो,
अपने प्रयासों से उनकी कृपा को पाओ।
- दीपक डोभाल