सफलता और विफलता की राह





जो नया सीखता है, समझो उसे यह बात,
विफलता है सफलता से भी एक कदम पास।
विफलता का हर पल, सफलता में बदल जाता है,
जब तक तुम उसे सीखकर आगे बढ़ जाते हो।

सोचते रहना सफलता को, नहीं लाता कोई फल,
सोच सोचकर बैठे रहना, यही होता है असल हलचल।
विफलताओं से न डर, उन्हें अपना साथी बना,
समय के साथ वह सफलता की सीढ़ी बन जाएगा।

विफलता नहीं है अंत, बल्कि एक शुरुआत,
हर असफलता में है सफलता की छांव।
सोच को छोड़, कर्म पर ध्यान दे,
क्योंकि सोच ही अंत होती है, कर्म ही है जीवन का संग्राम।

सीखो, बढ़ो और गिरकर उठो,
तभी सफलता से सच्चा रिश्ता बनाओ।
विफलता को अपना बनाओ,
सफलता तब तुम्हारे कदमों में होगी, यह जानो।


"प्रेम का दिव्यता रूप"

प्रेम ही असली चीज़ है, जहाँ मन का हर बीज है। कामनाओं से परे की धारा, जहाँ आत्मा ने खुद को पुकारा। जब स्पर्श हो बिना वासना की छाया, तो प्रेम ...