Monday 18 January 2016

पंख


बस फिर से उड़ने को तैयार है  पंख
जरा थम से गये थे पंख
जरा जम से गये थे पंख
आ रही है ठंडी ठंडी हवायें
जो की उडा रही है पंख
फिर से मचलने को तैयार है पंख
बस फिर से उड़ने को तैयार है  पंख
 
जरा भावनाओं के अंधेर मे फंस गये थे पंख
जरा मोह के आवेश मे  घस गये थे पंख
आ रही है रूहानी सी  गुनगुनी धुप
जो की सुखा रही है पंख
फिर से सम्भलने को तैयार है पंख
बस फिर से उड़ने को तैयार है  पंख

दीप जले तो जीवन खिले

अँधेरे में जब उम्मीदें मर जाएं, दुखों का पहाड़ जब मन को दबाए, तब एक दीप जले, जीवन में उजाला लाए, आशा की किरण जगमगाए। दीप जले तो जीवन खिले, खु...