Eggshell Relationships



मैं उन रिश्तों से दूर रहता हूँ,
जहां हर कदम सोचकर रखना पड़े,
जहां हर शब्द नाप-तौल कर बोलना पड़े।
जहां खुद को व्यक्त करने की आज़ादी न हो,
जहां "मैं" होने की जगह न हो।

जहां सीधा सच बोलना,
एक युद्ध का न्योता बन जाए।
जहां सहजता खो जाती हो,
और हर पल सावधानी का आवरण ओढ़ना पड़े।

जहां प्यार का उत्तर देना,
तूफ़ान बुलाने जैसा हो।
जहां हर वार्ता बच्चों जैसी बन जाए,
और बड़ों की तरह संवाद
के लिए कोई स्थान न हो।

जहां सुना जाना,
केवल एक सपना हो।
और हर भावना,
नकारात्मक मोड़ ले ले।

ऐसे रिश्ते,
जैसे नाजुक अंडे के छिलके,
जिन पर चलना,
हर वक्त खतरा बन जाए।
मैं उन रिश्तों से बेहतर,
खुद को अकेला मानता हूँ।

क्योंकि रिश्ता वो है,
जहां सच्चाई को जगह मिले,
जहां स्वाभाविकता बह सके,
जहां सुनने और समझने का
संतुलन बना रहे।

जहां प्यार का उत्तर,
प्यार से दिया जाए।
जहां दो दिल,
वास्तव में एक हो सकें।
जहां शब्दों से ज्यादा,
समर्पण का संगीत गूंजे।

मैं ऐसे रिश्तों का पक्षधर हूँ,
जो मजबूत हों,
नाजुक नहीं।
जहां कदमों में डर नहीं,
बल्कि आत्मविश्वास हो।


No comments:

Post a Comment

Thanks

मातृदेवो भव।

मां की आवाज़—सबसे बड़ी नेमत "मातृदेवो भव।" (मां देवता समान है।) घर में गूंजती मां की आवाज़, जैसे किसी मंदिर में बजता घंटा। हर शब्द...