सफर में हूं, बस सफर में, निरंतर चलते जाते हुए,

डीप से डीप्ति का मिलन, फिल्मी सिनेमा का पहला संगम,
दिल लागे ना, उसे जगमगाता दीपक का ज्योति संगम।

जीवन की नई रोशनी में, उमंगों की बारिश है शुरू,
थोड़ी जलन, थोड़ी खुशी, दोस्ती का रंग नया चढ़ा है दिल में धीरू।

शायद कुछ हुआ है, जज़्बातों में, जीवन की लड़ाई में,
दोस्ती का साथ, और थोड़ा सा दिल का बचपन जीता है बिना हार के रहने में।

यमुनानगर से दिल्ली, एक नया सफर, एक नया अनुभव,
खोजता हूं मैं, कुछ नया, कुछ अद्वितीय, जीने की राह में।

सफर में हूं, बस सफर में, निरंतर चलते जाते हुए,
जीवन की बड़ी राहों में, अपनी बड़ी कहानी बुनते हुए।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...