मैं एक औरत

मैं एक औरत, मन में छुपाए हजारों रंग,  
खुद को समझूँ, पर दुनिया का डर संग।  
सोचती हूँ, क्या मेरी चाहत सिर्फ़ जिस्म तक?  
या मेरे सपनों का भी है कोई हक़?  

मैं चाहूँ प्यार, वो गहरा समंदर,  
पर डर है, कहीं न बन जाऊँ बंदर।  
वो कहते हैं, दे दो, तो बन जाऊँ वस्तु,  
रोक लूँ तो बनूँ मैं उनके मन की मस्तु।  

मैं भूखी नहीं, मेरी भी है आग,  
पर दिखाऊँ कैसे, जब समाज का राग?  
रोकूँ तो हावी, बनूँ मैं रानी,  
दे दूँ तो डर, कहीं न खो जाए पानी।  

मैं भी चाहूँ वो सुख, वो गहरा नशा,  
जो पुरुष को लगता, बस उसका बस्ता।  
पर मेरा घेरा, बड़ा, गहरा, अनघट,  
मेरे भीतर का सच, नहीं बस एक रट।  

मैं छुपाऊँ क्यों, जो है मेरा हिस्सा?  
मेरी ख़ुशी, मेरी चाहत, मेरा किस्सा।  
नहीं बनूँगी ग़ुलाम, न कोई उपकार,  
मैं भी हक़दार, प्यार का वो संसार।  

तो आ, बराबरी से बाँट लें ये ख़ुशी,  
न कोई हावी, न कोई बनाए रूठी।  
मैं हूँ औरत, मेरी चाहत भी पवित्र,  
प्यार में मिले, न कोई छोटा, न बड़ा घेरा।

हर मौके को अपनाता हूँ



हर अवसर को पकड़ने की कोशिश करता हूँ,
शायद ये ईश्वर की कृपा का ही फल हो।
हर बार जरूरी नहीं, मेरी मेहनत ही रंग लाए,
कभी मेरी कोशिश से भी रास्ते बन जाएं।

जो मौके मेरे सामने आते हैं,
शायद वही मेरी किस्मत के द्वार खोल जाते हैं।
बस आगे बढ़ता हूँ, कभी पीछे नहीं हटता,
ईश्वर का आशीर्वाद मुझ पर है, ये नहीं भूलता।

कोशिश ही मेरा चमत्कार करती है,
हर गिरावट के बाद नई शुरुआत करती है।
मैं अपने सपनों को जीता रहता हूँ,
कभी हार मानने का नाम नहीं लेता हूँ।

चलता रहता हूँ, कोशिश करता रहता हूँ,
क्योंकि यही वो राह है, जो मंजिल तक ले जाती है।


हर मौके को अपनाओ



हर अवसर को पकड़ने की कोशिश करो,
शायद ये ईश्वर की कृपा का फल हो।
हर बार जरूरी नहीं, मेहनत ही रंग लाए,
कभी सिर्फ कोशिश से भी रास्ते बन जाएं।

जो मौके तुम्हारे सामने आते हैं,
वो शायद तुम्हारी किस्मत के द्वार खोल जाते हैं।
बस आगे बढ़ो, कभी पीछे मत हटो,
ईश्वर का आशीर्वाद तुम्हारे साथ है, यह मत भूलो।

कोशिश ही है जो चमत्कार करती है,
हर गिरावट के बाद नई शुरुआत करती है।
बस अपने सपनों को जीते रहो,
कभी हार मानने का नाम न लो।

चलते रहो, कोशिश करते रहो,
क्योंकि यही वो राह है, जो मंजिल तक ले जाएगी।