आंखों का एक ख़ास सफर होता है,
जो हमारी सबसे गहरी भावनाओं को खोल देता है।
कभी हमें लगता है,
कि शब्द नहीं, बस एक नज़र ही सब कुछ बता देती है।
लड़ाई की स्थिति में,
आंखों में एक तीव्रता होती है,
जैसे हर पल तुम्हें आंक रहे हों,
जैसे हर हलचल पर तुम्हारी नज़रों की जाँच हो रही हो,
क्योंकि भीतर एक डर है,
कि कहीं तुम उसे समझ न सको,
और वो तुम्हें जज कर रहा हो।
उड़ान की स्थिति में,
आंखें झपकती हैं,
नज़रे इधर-उधर घूमती हैं,
क्योंकि अंदर का भय घेरता है,
आंखों में स्थिरता नहीं बनती,
क्योंकि पलायन ही एकमात्र रास्ता लगता है।
ठहराव की स्थिति में,
आंखों में एक खालीपन होता है,
जो जैसे किसी और दुनिया में खो गया हो।
आंखें सब कुछ देख रही होती हैं,
लेकिन कहीं से भी जुड़ी नहीं होतीं,
जैसे शरीर यहाँ है,
लेकिन मन कहीं और है।
संतुष्टि की स्थिति में,
आंखों में एक विनम्रता होती है,
एक अभ्यस्त मुस्कान छुपी होती है,
जो हमेशा तुम्हारी स्वीकृति की चाहत में रहती है।
आंखों से यह व्यक्त होता है,
कि वो सिर्फ तुम्हारी उम्मीदों को पूरा करना चाहते हैं।
आंखों का ये संसार गहरा और रहस्यमय है,
जो बिना बोले बहुत कुछ कह देता है।
कभी शब्दों की ज़रूरत नहीं होती,
जब नज़रों में इतना बड़ा कहानी छिपा हो।