अंतरजगत का साझा



जब खोले हमने अपने मन के द्वार,
तो देखा भीतर का अनमोल संसार।
शब्दों के संग जो बहती धार,
वही बनती है आत्मा का उपहार।

अपने अंतरजगत को जो कह दिया,
उसने हमें सत्य से लय दिया।
हर भावना, हर सोच का प्रवाह,
बनता है जुड़ने का सच्चा राह।

यह साझा करना कोई साधारण बात नहीं,
यह तो रूह का रूह से मिलन सही।
जो भीतर छुपा है, वही असल हम हैं,
उसे कह देने से ही तो हम संगम हैं।

जब कोई समझे हमारी गहराई,
तो जुड़ जाए एक नयी परछाई।
अंतरजगत का यह खुला दर्पण,
दिखाता है आत्मा का हर क्षण।

इस साझा में है प्रेम का सार,
यही है सच्चे रिश्तों का आधार।
जो समझ ले इस गूढ़ सत्य को,
वही पाए जीवन के अर्थ को।


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