साहस का पहला कदम



कितनी बार मैंने खुद को रोका है,
सोचते हुए कि मैं तैयार नहीं हूँ,
या शायद मैं योग्य नहीं हूँ।
पर सच तो ये है,
हर कदम जो मैंने नहीं उठाया,
वो एक अवसर था जो छूट गया।

मैं क्यों खुद को आंकूं,
जब दुनिया ने मुझे देखा ही नहीं?
क्यों खुद को सीमित करूं,
जब रास्ते खुले हैं, और मैं चल सकता हूँ?

मुझे खुद पर यकीन रखना होगा,
अपनी क्षमताओं को पहचानना होगा।
हर अवसर, एक नया द्वार खोल सकता है,
बस पहला कदम हिम्मत से उठाना होगा।

कदम बढ़ाओ, खुद को मौका दो,
क्योंकि दुनिया तभी मानेगी, जब तुम खुद पर भरोसा करोगे।


आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...