साहस का पहला कदम



कितनी बार मैंने खुद को रोका है,
सोचते हुए कि मैं तैयार नहीं हूँ,
या शायद मैं योग्य नहीं हूँ।
पर सच तो ये है,
हर कदम जो मैंने नहीं उठाया,
वो एक अवसर था जो छूट गया।

मैं क्यों खुद को आंकूं,
जब दुनिया ने मुझे देखा ही नहीं?
क्यों खुद को सीमित करूं,
जब रास्ते खुले हैं, और मैं चल सकता हूँ?

मुझे खुद पर यकीन रखना होगा,
अपनी क्षमताओं को पहचानना होगा।
हर अवसर, एक नया द्वार खोल सकता है,
बस पहला कदम हिम्मत से उठाना होगा।

कदम बढ़ाओ, खुद को मौका दो,
क्योंकि दुनिया तभी मानेगी, जब तुम खुद पर भरोसा करोगे।


"प्रेम का दिव्यता रूप"

प्रेम ही असली चीज़ है, जहाँ मन का हर बीज है। कामनाओं से परे की धारा, जहाँ आत्मा ने खुद को पुकारा। जब स्पर्श हो बिना वासना की छाया, तो प्रेम ...