अब मैं आराम से बाहर निकलता हूँ,
विकास की ओर कदम बढ़ाता हूँ, यह वक्त है खुद को फिर से ढालने का।
समय को यूं ही नहीं बहने देता,
अब वो पल आ चुका है, जहां सिर्फ़ मुझे बढ़ना है।
जो मैंने डिजर्व किया, उसे ही हासिल करता हूँ,
कम में संतुष्ट होना अब मेरी पसंद नहीं।
अब वही मोड है, जहाँ मैं खुद को फिर से बनाता हूँ,
और हर कदम में सफलता का रास्ता पाता हूँ।