बरसात के रंग



बरसात की बूँदें, मीठी-सी मिठास,  
कभी बन जाएं कहर, कभी हो खास।  
पहाड़ों पे गिरती, जैसे मोती की धार,  
समुंदर से मिलती, उठती है हिलोर।

बादलों का घनघोर, जब गूँजे गगन में,  
प्रकृति के इस राग में, होती है छटा।  
नृत्य करती बिजली, आँचल में छुपाती,  
कभी गीतों की झंकार, कभी सन्नाटा।

किसी के लिए ये प्यार का गीत,  
किसी के लिए बाढ़ का विनाशकारी संगीत।  
कभी ये धरती की तृष्णा मिटाए,  
कभी गाँव-शहर सब कुछ बहाए।

बारिश के इस खेल में, छुपा है जीवन,  
कभी स्नेहिल बूँदें, कभी उफनता सागर।  
प्रकृति का ये रूप, अनंत और अद्भुत,  
हर दिल को छू जाए, कभी हल्की, कभी घोर।

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अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...