मातृदेवो भव।

मां की आवाज़—सबसे बड़ी नेमत
"मातृदेवो भव।"
(मां देवता समान है।)


घर में गूंजती मां की आवाज़,
जैसे किसी मंदिर में बजता घंटा।
हर शब्द में छिपा होता है प्यार,
हर पुकार में छिपा होता है आशीर्वाद।

मां की आवाज़,
सिर्फ एक ध्वनि नहीं,
यह वो जादू है
जो घर को घर बनाती है।
रसोई से आती उनकी पुकार,
खाने की सुगंध में घुला उनका स्नेह,
जिंदगी का सबसे बड़ा वरदान है।


जब मां बोलती है,
तो लगता है जैसे सृष्टि मुस्कुरा रही हो।
उनकी लोरी,
जैसे आत्मा को सुकून दे।
उनकी डांट भी,
सिखाने का सबसे प्यारा तरीका है।

अगर तुम्हारे घर में
मां की आवाज़ गूंज रही है,
तो जान लो,
तुम सबसे अमीर हो।
क्योंकि यह आवाज़,
सिर्फ आज का सहारा नहीं,
बल्कि जीवनभर की दुआ है।


आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...