घर की छाँव,

घर की चाह, बाहर की फुर्सत,
ये जीवन का अनन्त विचार है।
सुख-दुःख का सफर, मन की भावना,
हर कदम पर नए इशारे हैं।

घर की छाँव, बाहर की धूप,
एक संतुलन का नाम है।
सपनों की उड़ान, और रिश्तों का मीठा,
ये जीवन की मिठास का आनंद है।

घर की गलियों में खोना,
बाहर की राहों पर चलना।
दोनों ही एक अनुभव, एक अद्भुत,
जीवन की गाथा का सच्चा पाठ है।

घर की आगोश में आराम,
बाहर के ख्वाबों की खोज।
जिंदगी का सफर, ये दोनों,
हर लम्हे में एक नया सफर है।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...