ख़यालों के बंधन

 

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**ख़यालों के बंधन**

जब ख़यालों के बंधन टूटते हैं,
शरारत की राहें खुलती हैं,
मन की गहराइयों में उमंग उठती है,
रात की ख़ामोशी में हर धड़कन धुन बन जाती है।

स्पर्श की चाहत में लिपटे लम्हे,
संवेदनाओं की नाजुकता को छूते हैं,
चाहतों की सीमा से परे,
पल-पल का आनंद बुनते हैं।

वो अनकही कहानियाँ, वो अनदेखी राहें,
इंद्रियों की दुनिया में खो जाने का वक़्त,
हर सांस में बसा एक नया एहसास,
हर कदम पर एक नया अनुभव।

समूह की रागिनी में मिलते सुर,
समान इच्छाओं का सागर बहता है,
नयनों की चमक, हृदय की धड़क,
मिलकर एक संग्राम सा होता है।

प्यास और धुएं में छुपी जो सच्चाई,
उसमें भी एक नशा है, एक राहत है,
इन पलों की खुशबू में, इन लम्हों की मिठास में,
खुद को खोने का मजा है, एक अद्भुत अहसास है।

तो चलो, उन ख़यालों की दुनिया में,
जहां हर पल नया है, हर एहसास गहरा है,
जीवन की इन राहों में,
हर मोड़ पर बस आनंद ही आनंद है।

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I hope this poem resonates with your thoughts and emotions.

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