माया

ज्ञान का पराकाष्ट अंधकार को भगाता है, और सूर्य की किरणें हमें माया की असलीता को समझने की दिशा में अग्रसर करती हैं। सूरज की उजियार ने हमें दिखाया कि वास्तविक सुख और संतोष केवल बाहरी विश्व में नहीं मिलते, बल्कि वे हमारे अंतर के आत्मा के आध्यात्मिक आगे हैं। जैसे कि सूर्य की प्रकाश अंधकार को दूर करता है, वैसे ही स्वयं के अंधकार को दूर करके हम असली खुशियों का अनुभव कर सकते हैं। इस प्रकार, पारकाष्ट ज्ञान हमें माया की वास्तविकता के प्रति जागरूक करता है, हमें अंतर्निहित सत्य की ओर ले जाता है, और हमें आत्मा के अद्वितीय आनंद की खोज में अग्रसर करता है।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...