हाँ, मैं एक पेशेवर लेखक हूँ


कारपोरेट की दौड़ में, जहाँ हर कोई भाग रहा है,
वहीं मैं शब्दों के संसार में अपना वक्त लगा रहा हूँ।
9 से 5 की नौकरी, एक रोज़गार की डोर,
पर अंदर पलती है कहानियों की कोर।

कागज़ नहीं, मन के परदे पर लिखता हूँ,
मीटिंग के बीच, किरदारों को जीता हूँ।
मुझे देखा जाए तो मैं एक साधारण कामगार हूँ,
पर मेरी लेखनी से सजी कहानियाँ, ये सब जानकार हूँ।

हां, घड़ी की सुइयों से चलता हूँ,
पर अपने सपनों के पीछे हरदम पलता हूँ।
पैसे कमाने का जरिया ये नौकरी सही,
पर मेरी रूह की तस्कीन, मेरी कहानियाँ ही।

लोग पूछते हैं, "क्या ये सही है?"
मैं कहता हूँ, "शब्द मेरी आज़ादी हैं।"
मैं वो फिल्मकार हूँ, जो हर किरदार को जीता है,
नौकरी की दुनिया में भी अपनी कला को सींचता है।

तो हाँ, मैं एक पेशेवर लेखक हूँ,
अपने काम और सपनों के बीच एक पुल बुनता हूँ।
एक दिन ये कहानियाँ परदे पर उतरेंगी,
और तब मेरी मेहनत की आवाज़ सब तक पहुँचेंगी।


मैं, ब्रह्मांड का अंश, ब्रह्मांड मुझमें

मैं, एक अणु, जो ब्रह्मांड में विचरता, ब्रह्मांड का अंश, जो मुझमें बसता। क्षितिज की गहराई में, तारे की चमक में, हर कण में, हर क्ष...