Saturday 31 January 2015

गुलदस्ता


नही चाहिए तेरी यादों का वो गुलदस्ता

जिसमे तूने फिर से महका कर दिये हुये हैं वो फूल 

जो मुरझा गए थे ..

जब मैंने उन्हे छूने कि सोची  थी

तब जब मेरे सूखे वन में 

जरूरत थी फूलों से खिले 

 पौधों की 

जो खिला दे मेरे चमन को 

मगर जब तब न खिले 

वो फूल अब क्या करूँ  उनका 

जब मैंने अपने पतझड़ जीवन को बहार बना दिया.

दीप जले तो जीवन खिले

अँधेरे में जब उम्मीदें मर जाएं, दुखों का पहाड़ जब मन को दबाए, तब एक दीप जले, जीवन में उजाला लाए, आशा की किरण जगमगाए। दीप जले तो जीवन खिले, खु...