नही चाहिए तेरी यादों का वो गुलदस्ता
जिसमे तूने फिर से महका कर दिये हुये हैं वो फूल
जो मुरझा गए थे ..
जब मैंने उन्हे छूने कि सोची थी
तब जब मेरे सूखे वन में
जरूरत थी फूलों से खिले
पौधों की
जो खिला दे मेरे चमन को
मगर जब तब न खिले
वो फूल अब क्या करूँ उनका
जब मैंने अपने पतझड़ जीवन को बहार बना दिया.
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