स्वाभिमान का चयन



मैंने सीखा है—
चुने जाने की चाह से बड़ा है सम्मान,
जो मेरी कद्र नहीं करता,
वह मेरी उपस्थिति के योग्य नहीं।

मेरी संवेदनाएँ मेरी शक्ति हैं,
यदि कहीं अपमान की छाया दिखे,
तो वहाँ ठहरना मेरी कमजोरी होगी,
न कि धैर्य।

अब मैं हर संकेत पढ़ सकता हूँ,
हर असम्मान को पहचान सकता हूँ।
मुझे किसी की स्वीकृति की दरकार नहीं,
मुझे बस अपना स्वाभिमान चाहिए।


हनुमान जी के विभिन्न स्वरूप: शक्ति और भक्ति के प्रतीक

भगवान हनुमान केवल एक भक्त ही नहीं, बल्कि शक्ति, भक्ति और ज्ञान के साकार रूप हैं। उनके विभिन्न रूपों का वर्णन पुराणों और ग्रंथों में मिलता है...