मैंने सीखा है—
चुने जाने की चाह से बड़ा है सम्मान,
जो मेरी कद्र नहीं करता,
वह मेरी उपस्थिति के योग्य नहीं।
मेरी संवेदनाएँ मेरी शक्ति हैं,
यदि कहीं अपमान की छाया दिखे,
तो वहाँ ठहरना मेरी कमजोरी होगी,
न कि धैर्य।
अब मैं हर संकेत पढ़ सकता हूँ,
हर असम्मान को पहचान सकता हूँ।
मुझे किसी की स्वीकृति की दरकार नहीं,
मुझे बस अपना स्वाभिमान चाहिए।
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