आराम में रहना ठीक नहीं है



आराम में रहना, वो कभी ठीक नहीं होता,
विकास से डरना, ये कभी सही नहीं होता।

समय को यूं ही बहते देखना, ये गलत होता है,
जो मैं डिजर्व करता हूँ, उससे कम पे संतुष्ट होना, ये कभी ठीक नहीं होता।

हर पल को बढ़ने का अवसर समझो,
क्योंकि वक्त सिर्फ़ एक बार आता है, और मैं इसे खोना नहीं चाहता।

मैं खुद को बंधन से मुक्त करता हूँ,
कभी कम में नहीं रुकता, हमेशा अपने हक की ओर बढ़ता हूँ।


"प्रेम का दिव्यता रूप"

प्रेम ही असली चीज़ है, जहाँ मन का हर बीज है। कामनाओं से परे की धारा, जहाँ आत्मा ने खुद को पुकारा। जब स्पर्श हो बिना वासना की छाया, तो प्रेम ...