खुद से बातें


खुद से जो कहो, वो मीठा होना चाहिए,
हर शब्द में अपना साथ होना चाहिए।
दुनिया चाहे जो भी कहे या सुनाए,
तुम्हारा दिल तुम्हें हमेशा अपनाए।

जब गिरो, तो खुद को सहारा दो,
अपने जख्मों को प्यार से सहलाओ।
कह दो, "तुम हार नहीं मानोगे,
इस अंधेरे में भी तुम उजाला पाओगे।"

खुद की तारीफ में शब्द बुनो,
जैसे बाग में फूलों के ख्वाब सुनो।
"तुम खास हो, तुम सक्षम हो,
हर चुनौती के लिए तैयार हो।"

हर सुबह अपने से कहो यह बात,
"तुमसे शुरू होती है हर एक शुरुआत।
गलतियाँ भी तुम्हारी सीख हैं,
खुद को अपनाना ही असली जीत है।"

खुद से प्यार का रिश्ता निभाओ,
जैसे तुम किसी और को गले लगाओ।
खुद से बातें, खुद की पहचान हैं,
यही तो हमारी सबसे बड़ी जान हैं।


"प्रेम का दिव्यता रूप"

प्रेम ही असली चीज़ है, जहाँ मन का हर बीज है। कामनाओं से परे की धारा, जहाँ आत्मा ने खुद को पुकारा। जब स्पर्श हो बिना वासना की छाया, तो प्रेम ...