असली ताक़त



ना धन है असली शक्ति,
ना ओहदा, ना कोई नाम।
सच्ची ताक़त तो वो है—
जब तू खुद में पूरा हो,
बिना किसी के सहारे।

ना झुकना पड़े,
ना किसी के पीछे भागना पड़े।
ना दिखावा हो,
ना कोई बनावटी मुस्कान।

जब तू ऐसा चले—
जैसे कुछ चाहिए ही नहीं,
फिर भी सब कुछ पा जाए।

तू अपने आप में
इतना पूर्ण हो जाए
कि कोई बाहरी तूफ़ान
तेरे भीतर की नींव हिला न सके।

ना भीख,
ना चाहत,
ना दिखावा।

बस एक मौन आत्म-विश्वास
तेरे क़दमों में हो,
जो कहे—
"मैं वही हूँ जो मुझे होना चाहिए,
और यही मेरी सबसे बड़ी जीत है।"