बस
फिर से उड़ने को तैयार है पंख
जरा
थम से गये थे पंख
जरा
जम से गये थे पंख
आ
रही है ठंडी ठंडी हवायें
जो
की उडा रही है पंख
फिर से मचलने को तैयार है पंख
बस
फिर से उड़ने को तैयार है पंख
जरा
भावनाओं के अंधेर मे फंस गये थे पंख
जरा
मोह के आवेश मे घस गये थे पंख
आ
रही है रूहानी सी गुनगुनी धुप
जो
की सुखा रही है पंख
फिर से सम्भलने को तैयार है पंख
बस
फिर से उड़ने को तैयार है पंख
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